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2010-08-13

ज़िन्दगी की राह मे.......

ज़िन्दगी की राह में आगे बढ़ते जाना है,
कही दुखों का पहाड़ तो कही खुशियों का खजाना है |

चाहें आए राह में कितनी भी कठिनाईयाँ ,
आए भले ही हिमालय सी परेशानियाँ,
एवरेस्ट को चीर कर खुद को राह बताना है,
ज़िन्दगी की राह में आगे बढ़ते जाना है |

जैसे भँवरा होता कली के लिए दीवाना है,
जैसे पतंगा होता रोशनी के लिए परवाना है,
वैसे ही आज फिर तुझे अपनी बात का लोहा मनवाना है,
ज़िन्दगी की राह में आगे बढ़ते जाना है |

आज है फिर इम्तिहान की घड़ी,
जोड़ दे सफलता की एक और कड़ी,
विफलता को अपने इरादों से दूर भगाना है,
ज़िन्दगी की राह में आगे बढ़ते जाना है |


2010-08-10

साक्षात्कार की असफलता.....

ज़िन्दगी के उतार-चढ़ावों में ,
कहीं चंचलता तो कहीं शिथिलता है,
आखिर क्यों तू हाथ धरे बैठा,
क्या तेरे मन की विवशता है ?

आज डूबा है सूरज तो कल फिर से उगेगा,
तेरे भाग्य का चक्र जल्दी ही फिर से चलेगा,
दुःख है पहाड़ सा तो सुख भी मोम की तरह पिघलता है,
आखिर क्या तेरे मन की विवशता है ?

मेरे दुःख का कारण साक्षात्कार की असफलता है ,
क्या मेरे कर्मों की यही परिणीता है ?

हे मानव ! क्या होगा अब पश्चाताप से,
जब अकबर भी हारा राणा प्रताप से,
अब एक ही उपाय है तेरे दुःख का,
कर ले तू साक्षात्कार अपने आप से,
कर ले तू साक्षात्कार अपने आप से |

Welcome!!

What is especially uncanny about this blog is that everything that I think is important is blogged about here, in language that seems to precisely reflect my own thinking. It’s like I am reading my own mind every time I compose a post. If you are me, I’m sure you will feel the same way. In the unlikely event that you are not me, there is still a chance that you will enjoy my blog. Who knows? (And Who isn’t telling, so you’d better check it out yourself.)”